-: झारखण्ड का जनजातिये इतिहास :-


  

     झारखण्ड का जनजातिये इतिहास :-                       
                                                                                              झारखण्ड में आने  वाले सबसे पुराना जाति में एक मुंडा जाती हैं।   सबसे  पहले  झारखण्ड में आने जाति मुंडा है।  झारखण्ड में  नागो के अधिकता होने के कारण  इसे नाग देश कहा गया, यहाँ मुंडाओं ने जंगलो को साफ करके खुटकट्टी गांव बसाए ,
                मुंडाओं की शासन वयवस्था पंचायती  हैं।  इनके ग्राम पंचायत को पढ़हा पंचायत कहा जाता हैं।  इस पढ़हा पंचायत में पंच होतें हैं ! पंचो का निर्णय हमेशा सभी मामलो में मान्य है !इस पढ़हा पंचायत के द्वारा मुंडा गांव को संचलित और नियंत्रित करता है।  5 या 21 गांवों को मिलाकर एक पढ़हा पंचायत बनता है !
 * मुंडाओं की पारम्परिक स्वशासन  वयवस्था में कुछ पद है-


  1.  हातु मुंडा  - हातु मुंडा अपने मुंडा गांव  का प्रधान होता है ! जो की हातु का मतलब गांव  होता है !
    2 . पाहन - यह मुंडाओं का पुजारी  होता है ! धार्मिक जगहों, अनुष्ठानो , पर्व-त्योहारों एव
          शादी-विवाहों  इसकी मुख्य भूमिका रहती है ! गांव के बैठकों में पहान की मह्तवपूर्ण
          भूमिका होती है !
    3 . मुखिया - हर गांव पंचायत का एक मुखिया होता है !
    4 . पढ़हा पंचायत  - हातु पंचायत से बड़ा पढ़हा पंचायत होता है !
    5 . पढ़हा राजा - पढ़हा पंचायत का सबसे बड़ा आधकारी पढ़हा राजा है ! प्रायः पढ़हा           
          वयवस्था गोत्र के आधार पर होता है !
    6 . दीवान
    7 . लाल
    8 . कोतवाल
    9 . पांडे
             ... ये सभी पद पढ़हा राजा के सहयोग के लिए होते है तथा पंचायत अखरा में जमा होती है
      अखाडा गांव के बीच में होता है यह इनका सांस्कृतिक केंद्र होता भी होता है !
                                                                                        पढ़हा पंचायत के राजा को मानकी      भी कहते है !यह पढ़हा राजा नयायपालिका , कार्यपालिका भी माना जाता है !इनका अंतिम
  निर्णय सभी को मान्य होता है ! तथा उसका अनुपालन किया जाता है!
             शिक्षा के विकास के साथ सरकारी ग्राम पंचायत की वयवस्था होने से अब महिलाये भी     पंचायतो की मुखिया बन रही है ग्राम सभा की सदस्य भी महिलाये बन रही है ! 

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