बैगा / बथुड़ी / बंजारा

बैगा :-

  • यह जनजाति मुख्यतः पलामू , गढ़वा , लातेहार , रांची , सिंहभूम , और हज़ारीबाग जिलों में निवास करती है। 
  • ये औषधीय पेड़-पौधें के अच्छे जानकार होते हैं। 
  • इनके जीवनयापन का मुख्य स्त्रोत खेती , मजदूरी तथा वनों से खाध-संग्रह है। 
  • इस जनजाति के लोग बाघ को पवित्र पशु मानते हैं। 
  • इनका मुख्य देवता बड़ा देव है , जो साल वृक्ष में निवास करते हैं। 
  •  बैगा की सामुदायिक पंचायत का मुखिया मुकदम कहलाता है।
बथुड़ी :-

  • इस जनजाति का मुख्य निवास स्थल स्वर्णरेखा नदी के किनारे स्थित पहाड़ी श्रृंखलाओं में है , जो पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूम अनुमंडल के अंतर्गत है।   
  • धालभूम के बथुड़ी स्वयं को आदिवासी नहीं मानते। वे  'क्षत्रिय' कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं 
  • बथुड़ी समाज पितृसतात्मक एवं पितृवंशीय होता है। 
  • रसपूर्णिमा , सरोल पूजा , धुलिया पूजा ,  शीतला पूजा , वंदना पूजा , मकर संक्रांती , आदि इनके मुख्य पर्व हैं। 
  • देहरी इनके गांव का पुजारी और पंचायत का प्रधान होता है। 
  •  इनका मुख्य पेशा वन उत्पादों , जैसे -महुआ फूल एकत्रित करना और उन्हें बाज़ारो में बेचना है। 
बंजारा :-

  • यह जनजाति मुख्य रूप से संथाल परगना प्रमंडल में पायी जाती है। 
  • बंजारा जाति को अनुसूचित जनजाति  का दर्जा 1956  में प्रदान किया गया। 
  • ये स्थायी भाषा बोलते हैं। यह घुमक्कड़ किस्म के जनजाति है।  इनका गांव नहीं होता। 
  • ये जड़ी-बूटियों के अच्छे जानकर होते हैं। 
  • इनका समाज पितृसतात्मक  होता है।  
  • ये चार वर्गों में विभाजित हैं -चौहान , पवार , राठौर और उर्वा। 
  • इस जनजाति में विधवा विवाह को नियोग कहा जाता है। 
  • बंजारा संगीत प्रेमी होते है।  इनका वयवसाय संगीत से भी जुड़ा होता है।  
  • इस जनजाति के लोग धार्मिक अनुष्ठान के रूप में बंजारी देवी की पूजा करते हैं। 
  • दशहरा  दीपावली , होली , जन्माष्ट्मी , नाग-पंचमी , महाशिवरात्रि , रामनवमी आदि इनके प्रमुख त्योहार हैं।  

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