पढ़हा पंचायत / उरांवो की स्वशासन व्वयस्था
झारखड में मुंडाओं के आने के बाद आने वाले जाति उरांवो का है !ये जब आये और मुंडाओं की तरह जंगलो को साफ करके गांव तथा जमीन बनाया !उरावो द्वारा बसाये गए गांव भुइंहर गांव तथा उनके द्वारा बांये गए जमीन भुइहरी जमीन कहलाता है ! तथा जमीन के मालिक को भुइहरदर कहलाते है !
उरावो में पारम्परिक स्वसासन व्वयस्था है जो तीन स्तर में बंटा हुआ है !--
1 . ग्राम स्तर
2 . पढ़हा स्तर
3 . पढ़हा दीवान स्तर
1 . ग्राम स्तर - इसमें गांव स्तर पर हर गांव का एक प्रधान होता है ! जिसे महतो कहते है।
*महतो - महतो भुंइहर कुल का होना चाहिए जिन लोगो ने गांव बसाया है।
ग्राम प्रधान महतो के आधीन प्रशासन , न्याय , संपर्क अधिकारी होते है।
* मांझी - मांझी महतो का सहयोगी होता है। मांझी ही महतो के हर पंचायती आदेशों को गांव तक पहुँचता है।
* पाहन - धार्मिक अनुष्ठानो।,पर्व-त्योहारो , शादी विवाह के कार्य पाहन संपन्न करता है ये पाहन खूंट का होता है जैसे महतो भुइहर खूंट का होता है। पाहन महतो को पंचायत के बैठकों में सहयोग करता है।
*बैगा - बैगा पाहन के सहयोगी का काम करता है।
* पढ़हा राजा - 5 ,7 ,21 ,22 , गांवो को मिलाकर एक पंचायत बनता है। जिसे पढ़हा पंचायत कहा जाता है। जो की तीन स्तर निचला , बीच , तथा सर्वोच्च में बता होता है। अगर निचे या बीच के लोगो से फैसले का निपटारा नहीं होता हो , तो सर्वोच्च पढ़हा पंचायत अंतिम निर्णय देता है। जिसका पालन सभी को करना होता है।
* पढ़हा दीवान - सभी पढ़हा राजाओ के ऊपर पढ़हा दीवान होता है ये सभी पढ़ा राजाओ के साथ संबंध बनाये रखता है। ये पढ़हा दीवान का सर्वोच्च पदधारी। यह एक प्रकार से सुप्रीम कोर्ट की तरह कार्य करता है।
*ग्राम प्रधान - हर गांव का एक प्रधान होता है। जो गांव के मामलो का देखभाल करता है तथा फैसला सुनाता है। उरांव पारंपरिक स्वशासन वयवस्था में महिला-पुरुष दोनों पंचायत में उपस्थित रहे है
ग्राम प्रधान से किसी मामले का फैसला नहीं हो पाने पर गांव के महतो अपने स्तर से ऊपर के पढ़हा राजा के पास भेज देता है। पढ़हा राजा से निपटारा न होने पर पढ़हा दीवान के पास भेजा जाता है! पढ़हा दीवान पढ़हा राजाओ से सलाह विचार करके समुचित निर्णय देता है जिसे सभी मन लेते है।
उरांवो के शासन वयवस्था में पड़ने वाले गांवो में से एक गांव को पढ़हा राजा गांव कहा जाता है। इस प्रकार अन्य दूसरे गांवो को दीवान गांव कहते है। तीसरे गांवो को कोटवार गांव तथा बाकि सब गांवो को प्रजा गांव कहा जाता है।
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