गोंड / महली

गोंड :-

  • इस जनजाति को द्रविड़ प्रजाति की एक शाखा माना जाता है। 
  • इनका मुख्य निवास स्थान गुमला, सिमडेगा, रांची, पलामू, और कोल्हान प्रमंडल है। 
  • गोंड समाज तीन वर्गो में विभाजित है - राजगोंड (अभिजात वर्ग ),धुर-गोंड (सामान्य वर्ग ), और कमिआ (भूमिहीन श्रमिक मजदुर ). 
  • गोंड की भाषा गोंडी है।  किन्तु ये बोलचाल में सदरी नागपुरी का प्रयोग करते है। 
  • इनमे सयुक्त परिवार का काफी महत्व है। 
  • गोंड लोग सयुक्त परिवार को भाई बंद कहते है। 
  • जो कोई सयुक्त परिवार विस्तृत परिवार में विकसित हो जाता है तो उसे भाई बिरादरी कहा जाता है। 
  • गोंड परिवार पितृसत्तात्मक एवं पितृवंशीय होता है। 
  • इनके प्रमुख देवता ठाकुर देव् है जो सूर्य और धरती का प्रतिक हैं। 
  • ये लोग ठाकुर देव् को बूढ़ा देव् भी कहते है। 
  • इनका पुजारी बैगा कहलाता है। 
  • करमा, सरहुल, जितिया, सोहराय, आदि इनके मुख्य पर्व है। 
  • इनका मुख्य पेशा खेती बाड़ी है। 
  • इस जनजाति के लोग स्थान्तरित खेती को दीपा या बेवार कहते है। 
महली :-
  • महली लोग झारखण्ड के शिल्पी `जनजाति है। जो बाँस की कला में निपूण होते है यह जनजाति सिंहभूम, रांची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, हज़ारीबाग, धनबाद, संथाल परगना में निवास करती है। 
  • रिजले नामक लेखक ने इन्हे पांच उपजातियो में विभाजित किया है। :-बांस फोड़ महली ,   (टोकरी बनाने वाले महली), पातर महली  (खेतिहर ), सुलंकी महली (मजदुर ), तांती महली (पालकी ढोने वाला ), और माहली मुंडा। 
  • इनका मुख्य काम बांस की टोकरियाँ बनाना और ढोल बजाना है। 
  • इनका विवाह टोटमवादी वंशो में होता है। 
  • इनका मुख्य देवी सूरज देवी है। 
  • महली परिवार पितृसत्तात्मक एवं पितृवंशीय होता है। 

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