खरवार
खरवार:-
- ये जनजाति बहुत वीर एवं लड़ाकू जनजाति है। ये अपने सम्मान के लिए सब कुछ न्योछार करने तथा सत्य बोलने के गुणों के कारण पहचानी जाती है।
- अधिकांश विद्धान इन्हे द्रविड़ प्रजाति के मानते है।
- खरवार के 6 उपजातिया बताई जाती है-सूर्यवंशी , दौलतबंदी , घट बंदी , खेरी , भोगती , या गंझू , तथा मंझिया।
- इस जनजाति का मुख्य निवास क्षेत्र पलामू प्रमंडल है। इनके आलावा ये लोहरदगा , रांची , हज़ारीबाग , चतरा , संथाल परगना , तथा सिंहभूम में पाए जाते है।
- इनका मुख्य देवता सिंगबोंगा है।
- इनके मुख्य पर्व सरहुल , सोहराई , जीतिया , दुर्गा पूजा, दीपावली , रामनवमी फागु आदि है।
- इनकी भाषा खेरवारी है। जो आस्ट्रिक भाषा परिवार की है।
- इनके पंचायत में बैठकी एवं पुरोहित को पुरोहित या बैगा कहा जाता है।
- खरवार समाज में चार गांवो के पंचायत को चट्टी कहा जाता है, पांच गांवों की पंचायत को पचौरा एवं सात गांवो के पंचायत को सतौरा कहा जाता है।
- खरवार लोग साधारणतः घुटने तक धोती , बंडी और सर में पगड़ी पहनते है। स्त्रियां साड़ी पहनती है।
- ऐसा मन जाता है की रामगढ राज परिवार मूलतः खरवार की है।
- इनका पेशा कृषि है.
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