झारखण्ड आन्दोलन

                                        झारखण्ड आन्दोलन       
झारखंडी सदान 
 झारखण्ड राज्य में सामान्यतः गैर जनजातियों को सदान कहा जाता है।  लेकिन सभी गैर जनजाति सदान नहीं होते है , वास्तव में सदान झारखण्ड के मूल जनजाति  है।
          भाषायी के अनुसार  भाषा की नजर से जो लोग खोरठा पंचपरगनिया नागपुरी कुरमाली बोलते है , वो लोग सदान कहलाते है। डॉ बी पी केशरी मानते है की उनके भाषाओ का विकास कबीलों में हुआ है।  लेकिन भाषा  केवल एक जनजाति में सीमित नहीं रहता है ,
          धर्म के अनुसार हिन्दू ही प्राचीन सदान है।  इस्लाम का उदभव 600 ई. में हुआ लेकिन झारखण्ड आगमन 16 वीं सदी में ही हो गया था इनसे पहले के जैन धर्मावलम्बी भी सदान है।  इस प्रकार आज इन सभी धर्मावलम्बी की मातृभाषा जैनी या उर्दू या फ़ारसी न होकर खोरठा , नागपुरी , पंचपरगनिया , कुमारली आदि है चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
              प्रजाती के अनुसार से सदान आर्य मने जाते है।  कुछ द्रविड़ वंशी भी सदान है।  कुछ लोग सदरी बोलते है जो सदान में आते है। कुछ अनुसूचित लोग स्वयं को आग्नेय कुल का मानते है न ही प्रोटो आस्ट्रोलॉइड मानते है।  वे अपने को राजपूत कहते है।
              पुरातात्विक अवशेसो से पता चलता है की असुर से भी पहले कोई भी सभ्य प्रजाति यहाँ नहीं आयी थी। अतः ऐसा लगता है की वह सभ्य प्रजाति सदनों की होगी जो यहाँ मूलवासी थी। असुरो के बाद मुंडा और उसके बाद उराँव आते है और ऐसा लगता है की पहले से ही सदान लोग पहले से यहाँ पर थे , और उरावो तथा मुंडाओं का सवागत सदानो ने ही किया होगा। और इसी प्राचिनता की नजर से सदानो को कई कालो में विभाजित किया जाता है।
   1 .  असुरो से पहले वास करने वाली एक सभ्य प्रजाति की चर्चा इतिहासकार /मानवशास्त्री करते है।  की संभवतः वे सदान ही होंगे
   2 . मुंडाओं से साथ आने वाले सदान जो उरांवो के पहले से थे।
   3 . उरावो के साथ या उनके बाद आये सदान और पूर्वजो से विकसित सदान जनसंख्या
   4 . मुग़ल कल और ब्रिटिश काल के लोग

जाति  के अनुसार सदानो के प्रकार :
  1 . वैसी जातिया जो देश के अन्य हिस्सों में है और झारखण्ड के अन्य जगहों में भी है। - ब्राह्मण ,राजपूत, तेली ,माली ,कुम्हार ,सोनार, कोईरी , अहीर , बनिया , डोम ,ठाकुर, और नाग आदि।
  2 . वैसी जातिया जो केवल छोटानागपुर में मिलती है -बड़ाईक, पाइक, गोड़ैत , धानुक, घासी, भुईया ,तांती, भाँट , मलार,परमानिक लोहडिया , सराक ,आदि।
  3 . कई सदान जातिया ऐसी है जिनका गोत्र अवधिया , कन्नौजिया, तिरहुतिया, पुर्विया , गौंड , पछिमाहा, दखिनाहा आदि है जिसके बारे में पता चलता है की इनका मूल स्थान यहाँ न होकर कही और है।
  4 . परन्तु कुछ जातिया ऐसी है जिनका गोत्र स्थानीय आदिवासी समुदायों तरह है जिससे इनका मूल स्थान छोटानापुर ही होगा यह माना जा सकता है।

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