संथाल



   *  संथाल :-
  • यह झारखण्ड की प्रमुख जनजाति है। झारखण्ड की जनजातियोंं में संथालो की संख्या सबसे अधिक है। 
  • जाति की द्रष्टि से संथाल को प्रोटो आस्ट्रोलोइड की श्रेणी मेंं रखा जाता हैं। 
  • प्रजाति और बोलचाल की दृष्टि से संथाल जनजाति आस्ट्रिक जनजाति के बहुत नजदीक हैं।
  • इनकी बहुलत के कारण ही राज्य का उतरी-पूर्वी भाग संथाल परगना कहलाता है ।
  • राजमहल पहाड़ीयो में इनके निवास स्थान को दामिन-ए-कोह कहा जाता है। 
  • झारखण्ड में संथालो का मुख्य निवास स्थान संथाल परगना है ।
  • यह जनजाति 'संथाल परगना' के आलावे हजारीबाग , बोकारो, गिरिडीह, चतरा, राँची, सिंहभूम, धनबाद, लातेहार, तथा पलामू में पायी जती है ।
  • संथालो में कुल 12 गोत्र पाये जाते है । ये है- हसन्दा, मुर्मू, हेम्ब्रोम, किसकु, मरान्डी, सोरेन, बास्के, टुड़ु, पऔड़िया, बेसरा, चोंड़े, और बेडिया ।
  • संथालो के त्योहार  का आरंभ आसाढ़ महीना में होता है । इनके प्रमुख त्योहार बाहापर्व, सरहुल, करम, बंधना, हरियाड, जापाड, सोहराई, सकरात, माघसीम आदि है।
  • संथालो में सबसे अधिक सोहराई पर्व को खुशी के साथ जो की फसल काटनेके समय मनाया जता है।
  • संथालो में सबसे बडा देवता सिन्ग्बोंगा या ठाकुर कहा जाता है। 
  • नायके गाँव का धार्मिक प्रधान कहलाता है।
  • मांझी संथाल गाँव का प्रधान होता है।
  • बिलहाट संथाल समाज में सबसे कठोर सजा है।यह एक प्रकार का समाजिक बहिस्कार है।
  • संथाल जनजाति के लोग संथाली बोलते है। इनकी लिपि ओलचिकी है।
  • संथाल परिवार का कर्ता-धर्ता व प्रधान पिता होता है।
  • संथाल जनजाति एक अन्तर्विवाही जनजाति है। जिसमे सम्गोत्रय विवाह वर्जित है।
  • प्राय: संथाल में विवाह की एक प्रथा है। किन्तु परिस्तिथियों के अनुसार वो दुसरी पत्नी रख सकता है।
  • संथाल समाज में बाल-विवाह की प्रथा  नही है।
  • संथालो में विवाह समारोह को बापला कहा जता है ।
  • किरिंग बापला सर्वाधिक प्रचलित विवाह है। यह विवाह माता-पिता द्वारा 'अगुवा' के माध्यम से तय किया जाता है। 
  • संथालो में वर-पक्ष की ओर कन्या-पछ को दिया जाने वाला वधु-मूल्य पोन कहलाता है।
  • संथालो में मुर्दा जलाने और दफनाने दोनो प्रकार की प्रथाएंं है।
  • संथालो का मुख्य कार्य कृषि है।



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